राजनीति,पैसा,अव्यवस्थित मीडीया टारगेट रेटिंग प्वाइंट (TRP ) और पसंद (LIKE ) की भाग दौर मे पीछे चली जा रही जनता से जुड़ी समस्याए क्या कही और पीछे तो नही जा रही है? क्या पत्रकारो की आज़ादी की लड़ाई मे जो भूमिका थी क्या आज उसका कुछ प्रतिशत आज भी मौजूद है? क्या हम जो समाचार पत्रो और टीवी चॅनेल पे सही खबर देख पा रहे है? क्या इन खबरो का एक आम आदमी या देश की जनता से कोई सरोकार है? क्या हमारे देश मे किसान,जवान,अंतिम ग़रीब ब्यक्ति का इन मध्यमो से बिना टारगेट रेटिंग प्वाइंट (TRP) पसंद (LIKE) को नज़र मे रखकर दिखाया जा रहा है? और अगर नही तो अब टाइम आ चुका है की हमे ऐसे साधन की तलाश करनी होगी जहाँ पर सामोहिक रूप से चर्चा कर सके l समय परिवर्तन का है तो हमे बहुत ही सूझ-बूझ से समाज और राष्ट्रीय हित मे अपने स्वतंत्र विचार को आगे लाना होगा ये क्यों हो रहा है? मीडिया की विश्वसनीयता लोकतंत्र की प्रगति के साथ मजबूत शक के दायरे में है? मीडिया और लोकतंत्र के अन्य संस्थानों के बीच सामंजस्य दूरी के विकास और सकारात्मकता के नाम पर समझौता किया गया है।
जो लिखेगा, वही टिकेगा
@swatantramedia
Whatsapp-7499472288